IPS Amitabh Gupta | फाइव स्टार होटल में अकेले रखकर मोबाइल ले लेने से क्या परेशानी होती है देखे– अपर पुलिस महासंचालक अमिताभ गुप्ता
पुणे : IPS Amitabh Gupta | अपर पुलिस महासंचालक व महानिरीक्षक (जेल व सुधारसेवा) अमिताभ गुप्ता की पुणे श्रमिक पत्रकार संघ की ओर से गुरुवार १८ जुलाई को वार्तालाप का आयोजन किया गया था. इस मौके पर पुणे के पुलिस आयुक्त से जेल महानिरीक्षक तथा अपर पुलिस महासंचालक के अपने सफर के बारे में गुप्ता ने बताया. पुलिस आयुक्त रहते अपराधियों को पकड़कर जेल में डाला और उसके बाद जेल महानिरीक्षक बनने पर कैदियों की समस्याओं को छुड़ाने का काम किया. (IPS Amitabh Gupta)
आयुक्त का रोल नागरिकों को सुरक्षित रखना था और जेल महानिरीक्षक बनने के बाद कैदियों को सब कुछ मिल रहा है या नहीं यह देखने का काम किया. गुप्ता ने मुस्कुराते हुए कहा कि इस तरह की डबल ड्यूटी निभाई है. साथ ही पुणे में काम करते वक्त सोशल मीडिया का प्रभावी रुप से इस्तेमाल कर मराठी, हिंदी किे साथ अन्य भाषा में प्रेसनोट निकालने से अन्य मीडिया ने भी संज्ञान लिया.
इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दे पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि, ” कैदियों को दी गई सुविधाओं को लेकर कई लोगों ने फाइव स्टार होटल जैसी सुविधा देने की आलोचना की. लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. एक बपार फाइव स्टार होटल में अकेले रहे और मोबाइल ले लेने से क्या परेशानी होती है वह देखे. इससे फाइव स्टार होटल और जेल का फर्क समझ आएगा. इन शब्दों में उन्होंने आलोचकों की खबर ली. इस मौके पर पत्रकार संघ के अध्यक्ष पांडुरंग सांडभोर, महासचिव सुकृत मोकाशी, प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शैलेश काले उपस्थित थे.
अमिताभ गुप्ता ने कहा कि, ” जेल महानिरीक्षक के तौर पर मुझे काफी शिकायतें मिली.
जिन बातों को लेकर जेल की आलोचना हुई. उसमें बदलाव करने का प्रयास किया.
कैदियों की मानसिकता बदलने के लिए आवश्यक उपाय किए.
मानवी अधिकारों के तहत कैदियों को जो कुछ दिया जा सकता है वह दिया. जेल की कई गलतियों में बदलाव किया.
कई जेल में मोबाइल मिल रहे थे. इसके लिए राज्य के 3० जेल में फोन की सुविधा उपलब्ध कराई है.
इससे कई गलत चीजें रुक गई है. इसके बाद कई जेल में सीसीटीवी लगाने से सुरक्षा और पारदर्शिता आई.
कैदियों की छोटी छोटी मांगें थी. गाड़ी, स्वेटर, गर्म पानी, वॉटर कुलर, वाशिंग मशीन जैसी चीजें उपलब्ध कराई है.
जेल में भजन स्पर्धा, चेस स्पर्धा कराया. पूरी समर्पण भावना से काम किया. जिसका काम उसे श्रेय दिया.
कैदियों का दृष्टिकोन बदला. नये जेल के लिए पालघर, नगर, येरवडा के काम में गति आई है.
पुणे पुलिस आयुक्त पद छोड़ने के बाद मानसिक रुप से स्थिर होने में करीब एक महीने लग गए.
रिटायरमेंट के बाद पुणे में ही रहूंगा.
इस बीच उन्होंने जेल के नियमावली पर उंगली उठाते हुए उसमें बदलाव होने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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