Mula-Mutha Riverfront Development Project (RFD) | मुला मुठा नदी किनारे सुधार योजना को पर्यावरण का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त होने से गति के साथ प्रोजेक्ट पूरा होगा

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरणप्रेमी सारंग यादवाडकर की याचिका खारिज की

पुणे : Mula-Mutha Riverfront Development Project (RFD) | मुला – मुठा नदी पुनरुज्जीवन प्रोजेक्ट के काम की तकनीकी अड़चन दूर हो गई है. महापालिका के संशोधित पर्यावरण नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिलने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण प्रेमी सारंग यादवाडकर की याचिका खारिज कर दी है. मुला – मुठा नदी पुनरुज्जीवन प्रोजेक्ट लगातार न्यायालयीन विवाद में फंसता जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को लेकर महापालिका को नवंबर २०१९ में पर्यावरण का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था.

इस प्रमाण पत्र को लेकर पर्यावरण प्रेमी सारंग यादवाडकर व अन्य ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने इस सर्टिफिकेट के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर की थी. इसके अनुसार एनजीटी ने महापालिका को संशोधित पर्यावरण नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त करने का आदेश दिया था. महापालिका ने पर्यावरण विभाग से दुरुस्त पर्यावरण सर्टिफिकेट के लिए प्रस्ताव भेजा था. इसके अनुसार राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण ने महापालिका को संशोधित पर्यावरण नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दिया. महापालिका के विधि विभाग की ओर से एड. राहुल गर्ग ने संशोधित पर्यावरण नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट एनजीटी में पेश किया. और यादवडकर व अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाया है. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के आगे का काम करने का महापालिका का रास्ता साफ हो गया है.

गुजरात के साबरमती नदी की तर्ज पर शहर से बहने वाली मुला-मुठा नदी किनारे ४४ किमी लंबी सड़क का सुशोभीकरण किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को २०१८ में मान्यता मिली थी. इस पर ४ हजार ७२७ करोड़ रुपए का खर्च आएगा. प्रोजेक्ट का काम ११ चरणों में होगा. ११ में से 3 चरण का काम प्रायोगिक तौर पर किया जाएगा. एक चरण पर आने वाला ७०० करोड़ का खर्च महापालिका के फंड के जरिए किया जाएगा व शेष खर्च पीपीपी के आधार पर किया जाएगा. एक तरफ इस प्रोजेक्ट पर पैसे खर्च हो रहे है वही दूसरी तरफ यह प्रोजेक्ट निरंतर कोर्ट की प्रक्रिया में फंसता जा रहा है. २०१९ में मिले पर्यावरण नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के विरोध में पर्यावरण प्रेमियों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था.

नवंबर २०२२ में एनजीटी ने महापालिका को आवश्यक सुधार के लिए एसईआयएए संस्था की मदत लेने का आदेश दिया गया था. साथ ही याचिकाकर्ताओं द्वारा २०२२ में इस काम को रोकने की मांग की थी. इस मांग को एनजीटी ने खारिज करते हुए महापालिका को काम जारी रखने का आदेश जारी किया था. साथ ही याचिकाकर्ताओं ने एनजीटी द्वारा दिए गए एक निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मार्च २०२3 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद पर्यावरण प्रेमियों ने फिर से एक बार एनजीटी का दरवाजा खटखटाते हुए पेड़ों की कटाई की शिकायत की थी. इस याचिका को भी खारिज कर दिया. साथ ही २०२3 में ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर यह प्रोजेक्ट रद्द करने की मांग की गई थी. अक्टूबर २०२3 में इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया. यह जानकारी महापालिका के मुख्य विधि अधीकारी एड् नीशा चव्हाण ने दी है.

पर्यावरण विभाग का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने पर मुला मुठा नदी किनारे सुधार योजना को अधिक गति देने की शुरुआत की गई. बारिश को देखते हुए प्रोजेक्ट का काम धीमी गति से चल रहा था. मानसून के प्रमुख चरण खत्म हो चुका है. ऐसे में पर्यावरण विभाग का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त होने पर फिलहाल चल रहे तीन चरणों का काम तय समय में पूरी करने में मदद मिलेगी. अगले चरण की टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. – प्रशांत वाघमारे, शहर अभियंता, पुणे महापालिका

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