Puja Khedkar | पूजा खेडकर को दिव्यांगता प्रमाणपत्र देने वाले YCM के डॉक्टर मुश्किल में? जिलाधिकारी ने दिया महत्वपूर्ण आदेश
पुणे : Puja Khedkar | ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर अपने विभिन्न कारनामों को लेकर चर्चा में है. उनके द्वारा पिंपरी चिंचवड महापालिका के वाईसीएम हॉस्पिटल से भी २०२२ में दिव्यांगता प्रमाणपत्र लेने की जानकारी सामने आई है. इससे जुड़ी जानकारी हॉस्पिटल में दर्ज है. पूजा खेडकर के प्रमाणपत्र को लेकर संदेह जताया जा रहा है. (Puja Khedkar)
उस प्रमाण पत्र के आधार पर उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश किया है. इसके लिए दिव्यांग प्रमाणपत्र नगर के सरकारी हॉस्पिटल से दिया गया. २०१८ में आंखों से दिव्यांग और २०२० में मनोविकार प्रमाणपत्र दिया गया. इन दोनों का एकत्रित प्रमाणपत्र वर्ष २०२१ में दिए जाने की जानकारी सामने आई थी.
इसके बाद पिंपरी-चिंचवड महापालिका के यशवंतराव चव्हाण स्मृति (वाईसीएम) हॉस्पिटल से भी खेडकर के दिव्यांगता प्रमाणपत्र लेने की जानकारी सामने आई है. खेडकर को २०२२ में दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिया गया था. किस मापदंड पर यह प्रमाणपत्र दिया गया था, इसकी जांच की जा रही है. यह जानकारी वाईसीएम हॉस्पिटल के डीन डॉ. राजेंद्र वाबले ने दी है.
इस बीच अब वाईसीएम से पूजा खेडकर को प्रमाणपत्र देने वाले डॉक्टर के मुश्किलों में फंसने की संभावना जताई जा रही है. इस मामले में वाईसीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर सहित पूजा खेडकर की मदद करने वाले प्रत्येक की विस्तार से जांच की जाए. फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिलाने वाला रैकेट है तो उसका पर्दाफाश करने का आदेश पुणे जिलाधिकारी कार्यालय ने दिया है.
खेडकर को २०२२ में दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिया गया था. प्रमाणपत्र में उनके बाएं घूटने में सात फीसदी
स्थाई दिव्यांगता होने का जिक्र किया गया है. यह प्रमाणपत्र देते वक्त नियमों का पालन नहीं होने का
आरोप लग रहा है. इसी प्रमाण पत्र के आधार पर पूजा खेडकर ने केंद्रीय दिव्यांग विभाग
से दिव्यांगता का प्रमाणपत्र मिलीने की बात कही है. इसलिए इस जांच का महत्व बढ़ गया है.
दिव्यांग कल्याण आयुक्तालय ने वाईसीएम के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर वह प्रशासकीय सेवा से जुड़ी क्या? ऐसी आशंका उपस्थित की है. इसकी पुष्टि करने के लिए विस्तृत जांच की जरुरत है. जांच में दोषी पाए जाने पर दिव्यांगता प्रमाणपत्र देने वाले डॉक्टर और मदद करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर केस दर्ज किया जाए.
फर्जी दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिलाने वाला रैकेट है क्या? इसका पर्दाफाश हो
और इस पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय में पेश करने का आदेश रेजीडेंट
उप जिलाधिकारी ज्योति कदम ने दिया है.
इस मामले में वाईसीएम हॉस्पिटल के डीन डॉ. राजेंद्र वाबले ने कहा कि अस्थिरोग व फिजोथेरिपी विभाग
द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था. उन्होंने रिपोर्ट सौंप दी है.
प्रमाणपत्र सात प्रतिशत का दिया जाता है. केंद्र सरकार के नियमावली का पालन
कर पारदर्शिता के साथ यह प्रमाणपत्र दिया गया है.
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