Shivaji Nagar Assembly | सुरक्षा और ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने में शिवाजीनगर के विधायक, नगरसेवक रहे असफल
पुणे : Shivaji Nagar Assembly | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पुणे दौरे के दौरान जिस निर्वाचन क्षेत्र की समस्या को लेकर राष्ट्रपति कार्यालय ने फटकार लगाई थी उस शिवाजीनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में ट्रैफिक जाम, खराब सड़क की वजह से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. शिवाजीनगर निर्वाचन क्षेत्र में शहर की सर्वाधिक झोपडपट्टी है. (Shivaji Nagar Assembly )
यहां के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए विशेष प्रयास करने की जरुरत है. साथ ही इस भाग में स्कूल, कॉलेजों की संख्या भी अधिक आहे. इस वजह से विद्यार्थी, छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी प्रयास करने की आवश्यकता थी. लेकिन ऐसा लगता है कि शिवाजीनगर निर्वाचन क्षेत्र में ट्रैफिक जाम की समस्या जन्मजात बन गई है. शिवाजीनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से सर्वाधिक भाजपा के नगरसेवक है. नागरिकों का कहना है कि पिछले १० वर्ष में भाजपा के विधायक होने के बावजूद इस समस्या के समाधान के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किए गए. यहां के अधिकांश प्रमुख नेता पिछले महापालिका चुनाव के दौरान भाजपा में चले गए थे. कांग्रेस का संगठन कमजोर होने के बावजूद हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुरलीधर मोहोल को मामूली बढ़त मिली थी. इससे यह निष्कर्ष निकला कि निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता भाजपा के नगरसेवक व विधायकों से नाराज है.
इस बारिश में मुला और मुठा नदी पर भारी बाढ़ आई थी. इसमें खडकवासला डैम से पानी छोड़ने पर सिंहगढ़ रोड परिसर की सोसायटियों में पानी घुस गया था. इसका संज्ञान मुख्यमंत्री से लेकर सभी ने लिया. नागरिकों की आज भी शिकायत है कि उसी वक्त शिवाजीनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के पाटिल इस्टेट, औंध परिसर की कई झोपडपट्टियां और सोसायटी में पानी घुसने से भारी नुकसान हुआ. लेकिन हमारे पास कोई नहीं आए.
सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ चौक में मेट्रो के फ्लाईओवर का काम चल रहा है. कोरोना काल में यहां का फ्लाईओवर गिराया गया था. लेकिन काम शुरू करने में काफी समय बर्बाद किया गया. फ्लाईओवर के काम की वजह से पूरे गणेशखिंड रोड की सड़क की अवस्था बेहद खराब हो गई है. बारिश के चार -पांच महीने लोगों को अपनी जान हथेली में लेकर चलना पड़ रहा था. राष्ट्रपति को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ा. लेकिन इसकी न तो जनप्रतिनिधियों को फ्रिक है और न ही मनपा को. आज भी यहां गड्ढों में सड़क ढूंढना पड़ता है.
म्हाडा के बाढ़ ग्रस्त सेक्टर का बड़ा हिस्सा इस भाग में आता है. राज्य सरकार ने वर्ष दर वर्ष कोई निर्णय नहीं लेने से लोगों को पुरानी, कमजोर हो चुके घर गिराकर नया घर बनाया. परिवार बढ़ने पर उपरी मंजिल बनाई. इस पर महापालिका ने दोगुनी, तीनगुनी प्रॉपर्टी टैक्स वसूल की. इस कॉलोनी की मूल समस्या साल दर साल पेडिंग रहा. अब चुनाव के करीब आने पर विधायक सिद्धार्थ शिरोले ने विधानसभा में आवाज उठाई है. सरकार ने भी तुरंत बढ़े प्रॉपर्टी टैक्स वसूली पर रोक लगा दी. इसके बड़े बड़े बैनर लगाकर विज्ञापनबाजी की गई.
इस भाग के ट्रैफिक जाम के उपाय के तौर पर वेताल टेकडी पर दो टनल और बालभारती से पौड फाटा के बीच पहाड़ी से सड़क बनाना प्रस्तावित है. इस टनल का पर्यावरण प्रेमी नागरिकों द्वारा विरोध किया जा रहा है. लेकिन इसे लेकर विधायक ने कभी भी अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं की. विधायक बनने के बाद उन्होंने नगरसेवक पद भी बनाए रखा. इस वजह से उनके वॉर्ड के लोग कई सुविधाओं से वंचित रह गए. पीएमपीएमएल के संचालक पद पर उनका चयन हुआ था. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार का उनके पास बड़ा मौका था. लेकिन उन्होंने पीएमपी की अच्छी सेवा देने का मौका गंवा दिया. आज भी पीएमपी से पुणेकरों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल रही है. इसकी वजह से शहर में बाइक की संख्या बढ़ने से ट्रैफिक जाम पर दबाव बढ़ने के रुप में नजर आ रहा है.
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