Shrimant Bhausaheb Rangari Ganpati | श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट आयोजित राज्य स्तरीय किला बनाओ स्पर्धा का पुरस्कार वितरण समारोह उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न

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Bhau Rangari Ganpati

85 स्पर्धक हुए शामिल

पुणे : Shrimant Bhausaheb Rangari Ganpati | हिंदुस्तान के पहले सार्वजनिक गणपति श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय किला बनाओ स्पर्धा 2024 का पुरस्कार वितरण रविवार को सम्पन्न हुआ ( State-Level Fort-Making Competition). इस स्पर्धा में करीब ८५ स्पर्धकों ने भाग लिया. इस स्पर्धा में स्वराज्य दौलत दुर्गानाथ प्रतिष्ठान द्वारा तैयार पुरंदर घेरा की झांकी सर्वोत्कृष्ट घोषित हुई. (Bhau Rangari Ganpati)

श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति ट्रस्ट की ओर से राज्य स्तरीय ऑनलाइन किला स्पर्धा का आयोजन किया गया था. इस स्पर्धा का पुरस्कार वितरण समारोह रविवार को श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंदिर में सम्पन्न हुआ. सीनियर इतिहासकार व दुर्ग स्कॉलर पांडूरंग बलकवडे और एच वी देसाई कॉलेज के विभाग प्रमुख गणेश राउत चीफ गेस्ट के तौर पर उपस्थित थे.

इस स्पर्धा के विजेताओं में पहले नंबर पर ९ हजार, द्वितीय नंबर वाले को ७ हजार और तृतीय नंबर वाले को ५ हजार का इनाम देना तय हुआ था. इनमें मुंबई विभाग में आयुष पाटिल पहले नंबर के विजेता बने है. उन्होंने स्वर्ण दुर्ग बनाया था. जबकि द्वितीय नंबर पर ओमकार मित्र मंडल – सरस भेड दुर्ग की झांकी पेश की. जबकि घरकूल मित्र मंडल द्वारा बनाए गए प्रतापगढ़ को दुर्ग को तीसरा पुरस्कार मिला. कोकण विभाग में आदर्श मित्र मंडल द्वारा बनाए गए वेल्बोर – साजरा – भोजर को प्रथम क्रमांक, जबकि किला रायगढ़ द्वारा बनाए गए अष्टप्रधान मंडल को दूसरा पुरस्कार मिला.

पश्चिम महाराष्ट्र विभाग से प्रथम क्रमांक सांगली के स्वराज्य दौलत दुर्गनाथ प्रतिष्ठान द्वारा बनाए गए पुरंदर वज्रगढ़ पुरंदर घेरा पुरंदर की झांकी को जबकि सिंहगढ़ हिलता झांकी बनाने वाले पुणे के मिरजकर परिवार को द्वितीय और किला अहिवंतगढ़ और किला मार्कड्या की झांकी पेश करने वाले सांगली के विजेता तरुण मंडल तीसरे स्थान पर रहा.

पुरंदर घेरा बना सर्वोत्कृष्ट किला

स्वराज्य दौलत दुर्गानाथ प्रतिष्ठान द्वारा बनाए गए पुरंदर घेरा के 11 किलों का एकत्रित झांकी सर्वोत्कृष्ट बना. इसके लिए ११ हजार रुपए का इनाम था. जबकि किशोर वेद इनामदार द्वारा बनाए गए मल्हारगढ़ और महिलाओं द्वारा बनाए गए स्वयंभू गर्जना के रायगढ़ की झांकी को उत्तेजनार्थ इनाम दिया गया. सम्मान चिन्ह व प्रशस्ति पत्र उत्तेजनार्थ इनाम के रुप में था.

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