Pune Court News | पुणे: वृद्ध मां पिता को गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताने वाले बेटे को कोर्ट ने लगाई फटकार; हर महीने 16 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश

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पुणे: मां पिता का ध्यान रखना बच्चों का कर्तव्य है. यह कानूनी जिम्मेदारी है. यह टिप्पणी करते हुए पारिवारिक कोर्ट के न्यायाधीश के. वी. ठाकूर ने मां पिता को हर महीने १६ हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. यह आदेश देते वक्त कोर्ट ने बेटे को जमकर फटकार लगाई.

एक सीनियर सिटीजन दंपति ने पिछले वर्ष मार्च में शिवाजी नगर के पारिवारिक कोर्ट में बेटे द्वारा गुजारा भत्ता के लिए एड्. जान्हवी भोसले और एड्. भालचंद्र धापटे के जरिए याचिका दायर की थी. सीनियर सिटीजन दंपति को तीन बेटी और एक बेटा है.

बेटा निजी कंपनी में काम करता है. उसे हर महीने अच्छा वेतन मिलता है. दंपति ने बेटे की शिक्षा पर खर्च किया था. उसे अच्छी शिक्षा दी. वह अब हमारा ध्यान नहीं रख रहा है. इसकी वजह से हमें दामाद के पास रहना पड़ रहा है. हर महीने १3०० रुपए का पेंशन मिलता है. मधुमेह, हदयरोग और पैरालिसिस जैसे विकार से ग्रस्त हूं. अच्छा वेतन मिलने के बावजूद बेटा उपेक्षा कर रहा है. इसलिए हर महीने १६ हजार रुपए गुजारा भत्ता पाने के लिए उन्होंने याचिका दायर की थी.

इसके बाद बेटे ने मां पिता को गुजारा भत्ता नहीं देना पड़े इसलिए कोर्ट में दायर याचिका खारिज करने की मांग की थी. उसने गुजारा भत्ता देने में असमर्थता जताई थी. उसने कहा कि मां पिता के साथ पत्नी की जिम्मेदारी मुझ पर है. हर महीने 60 हजार रुपए वेतन है. घर का हफ्ता देना पड़ता है. वर्टिगो से परेशानी होने के कारण कार हफ्ते पर लिया है. हफ्ता, घर खर्च, बिजली बिल भरने के बाद हाथ में कोई रकम नहीं बचता है. पिछले वर्ष पिता को कुछ रकम भेजी थी. माता पिता जानबूझकर परेशान कर रहे है. यह दलील बेटे के वकील ने कोर्ट में दी.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माता पिता के पक्ष में फैसला सुनाया. न्यायाधीश के. वी. ठाकूर ने कहा कि ‘मां पिता की जिम्मेदारी बेटे का कर्तव्य है, कानूनी दृष्टि से यह अनिवार्य है. साथ माता पिता को 8-८ हजार रुप, सहित कुल१६ हजार रुपए देने का आदेश कोर्ट ने दिया है.

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